पटना ट्रैफ़िक पुलिस घटना होने पर जागृत होती है और फिर सो जाती है कारण दुर्घटना और आम आदमी का बेबजह जेब ढीला!
अनुरोध की भाड़ा रीवाइज कराएं या टेम्पू पर सवारी इंशुरेंस कम्पनी के गाइड लाइन के अनुरूप सीमित करें! साथ ही भाड़ा का स्टिकर सभी टेम्पू पर लगावाए!
दुर्घटना होने पर ट्रैफ़िक पुलिस जगती है कुछ दिन क़ानून फ़ॉलो कराती फिर सो जाती है जनता ही मरती, जनता ही पे करती है!
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