- चिन्टू शेखर।
ग़दर फ़िल्म न डायनामाइट हौ , तारा सिंह कैरेक्टर नही अकेला सेना के 10 टुकड़ी के समान हौ । ऐसा फ़िल्म सदी में 1 से ज्यादा न बन सक हौ।
तभीये तो आधा बिहार परीक्षा हॉल में और ऑफिस में हौ फिर भी सिनेमा हॉल हाउस फूल हौ ।
डायलॉग , गाली और पाकिस्तानियों के कोहराम का आनंद सिनेमा हॉल में ही है।