मन में जहर डॉलर के बसा के
फिरती है भारत की अहिंसा
खादी के केंचुल को पहनकर
ये केंचुल लहराने न पाए
अमन का झंडा इस धरती पर
किसने कहा लहराने न पाए
ये भी कोई हिटलर का है चेला
मार लो साथ जाने न पाए
कॉमनवेल्थ का दास है नेहरू
मार ले साथी जाने न पाए।
इस कविता लिखने के बाद मजरूह सुल्तानपुरी को जवाहर लाल नेहरू ने जेल में डाल दिया जहां दो साल गुजारना पड़ा !
ये है कांग्रेस की अभिव्यक्ति की आजादी !
अगर आज प्रधानमंत्री को हिटलर कहने पर सरकार जेल में डालना शुरू करे त आधा विपक्ष जेल में हो ।
मजरुह सुल्तानपुरी एक योद्धा
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