वैश्विक हंगर इंडेक्स का आकड़ा देख कर आम लोग क्या बहुत जानकर लोग भी इसका सम्बन्ध भूख से लगा कर सरकार को कोसते हैं, मैं भी उन्ही लोगों मे था!
पर जब हंगर इंडेक्स कलकुलेशन का मानदंड देखा तब पता चला की ईस इंडेक्स का भूख से कोई सम्बन्ध नही हैं बल्कि इसका सम्बन्ध 0 से 5 साल के उम्र के बच्चों के मौत से हैं!
जिसको भारत के लोग 13 से 18 साल के बच्चियों ,गर्भवती महिला, बचे के जन्म के तुरंत बाद से 3 साल तक देख भाल कर के ठीक कर सकते हैं!
मैं ऐसा ईस लिए कह रहा हूँ क्योकि 4 साल तक ईस इंडेक्स को ठीक करने के लिए यूनिसेफ़ के एक प्रोजेक्ट का हिस्सा रहा हूँ प्रोजेक्ट के दौरान लगभग 1लाख से अधिक ऐसे लोगों से मिला हूँ और अनुभव किया हूँ की 1-बेटियों के खाने मे घर बाले ध्यान नही दे रहे थे खास कर उन दिनों मे जब उन्हें खाने के का अधिक जरूरत था, मासिक धर्म के दौरान साफ सफाई का उचित जानकारी न होने के कारण बच्चें कई विमारी के शिकार हो रहे थे, कम उम्र मे शादी और माँ बनना आज भी आम हैं!
( जीव विज्ञान के शिक्षक 8 क्लास से ही लड़कियों को इन समस्या के प्रति जागरूक करें )
2- माँ बनने का सही उम्र का जानकारी नही था, गर्भ धारण करने के साथ ही हॉस्पिटल, डॉ के देख भाल नही होता हैं, महिला गर्भ धारण करते ही खाना बढ़ाने के बजाय कम कर देते हैं कारण गर्भ मे बचे का विकास बाधित हो रहा था!
(गर्भवती महिला का उचित देख भाल का व्यवस्था विकसित हो )
3- इतना इंसेंटिव, व्यवस्था विकसित करने के बाबजूद आज भी 50% बच्चों का ही जन्म हॉस्पिटल मे हो रहा हैं, जन्म के साथ ही बच्चों को कॉटन से साफ करने के बजाय स्नान करने का गलत परम्परा आज भी सामने आता हैं, बचे के जन्म के आधा घंटा के अंदर माँ का दूध और 6 माह तक सिर्फ माँ के दूध पर बचे को नही रख रहे थे तो रूटीन इमूनाइजेशन के प्रति भी माता पिता सीरियस नही हैं!
(आँगनवाड़ी केंद्र पर अधिकारी जाएँ तब उसके कैचमेंट एरिया के लाभार्थी से मिले ये सरकार के कैलेंडर मे भी हैं पर बर्तमान मे अधिकारी सिर्फ वसूली के लिए केंद्र पर जा रहे हैं, तकनीक का सरकार अधिकारियो केलिए भी उपयोग करे )
हंगर इंडेक्स को ☝️ इन तीनों को ठीक कर के ठीक किया जा सकता हैं!
हंगर इंडेक्स मे नीचे मतलब भूखा देश नही होता बल्कि 0-05 साल के बच्चों के मौत पर मुख्यतः आधारित रहता हैं!
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